शायद कि मै भ्रम हू
शायद मै ही ब्रह्म हूँ
शायद जीवन एक मृत्युशय्या है
शायद जीवन एक नवजात का पालना है
शायद विश्व में विश्रंखलता है
शायद ये विश्रंखलता ही अलौकिक शांति है
शायद तेरे हृदय में प्रेम है
शायद ये प्रेम ही परम क्लेश है
शायद प्रभु एक है
शायद वो ‘एक’ अनेक है
शायद ‘अहद’ सृष्टि का रचयिता है
शायद ‘वो’ स्वयं एक रचना है
जीता है ‘अहद’ इसी अंतर्द्वंद में
शायद ये अंतर्द्वंद ही अन्तर्याम है !!
शायद मै ही ब्रह्म हूँ
शायद जीवन एक मृत्युशय्या है
शायद जीवन एक नवजात का पालना है
शायद विश्व में विश्रंखलता है
शायद ये विश्रंखलता ही अलौकिक शांति है
शायद तेरे हृदय में प्रेम है
शायद ये प्रेम ही परम क्लेश है
शायद प्रभु एक है
शायद वो ‘एक’ अनेक है
शायद ‘अहद’ सृष्टि का रचयिता है
शायद ‘वो’ स्वयं एक रचना है
जीता है ‘अहद’ इसी अंतर्द्वंद में
शायद ये अंतर्द्वंद ही अन्तर्याम है !!